हम सभी के साथ जब भी कुछ गलत होता हैं तब हम सबसे पहले पुलिस के पास जाते हैं ।लेकिन कभी कभी पोलिस शिकायत दर्ज करने से मन भी करदेती हैं ।अगर आप के साथ भी ऐसा कभी हुआ हैं पोलिस ने आपकी एफआईआर नहीं लिखी हो तो विश्वास मानिये अब से आप के साथ ऐसा कभी नहीं होगा ,जी हाँ दोस्तों अगर आप थाने में जा कर ये शब्द बोलेंगे तो पोलिस वालो को आप की शिकायत दर्ज करनी पड़ेगी ।अब आप सभी ये जानना चाहेंगे की ये शब्द आखिर हैं क्या ?गौरतलब है कि आपको पुलिस थाने में जाकर केवल इतना कहना है कि आपको जीरो एफआईआर दर्ज करवानी है तब पुलिस वालो को आप की एफआईआर दर्ज करनी ही पड़ेगी
शायद आप को मालूम नहीं होगा लेकिन हम बता दे की जीरो एफआईआर एक सिटिज़न को बहुत बेहरतीन सेवाएं देती हैं ।बहुत ही लोग हैं जिनको इस बारे में बिलकुल भी नहीं पता हैं ,इसी वजह से आज हम आप को बताएँगे की आखिर जीरो एफआईआर होती क्या हैं और क्यों पोलिस वाले इसे दर्ज करने से मना नहीं कर सकते ।बता दे की पोलिस वालो का एक ज्यूरिडिक्शन होता है और ऐसे में आप किसी करने की वजह से ज्यूरिडिक्शन वाले थाने नहीं फकह पा रहे हैं या फिर आप को इसकी सही जानकारी नहीं हैं तो उस दौरान आप किसी भी थाने में जीरो एफआईआर बोल कर शिकायत दर्ज करवा सकते है । जी हां इस एक शब्द की वजह से आप अपने सबसे नजदीकी पुलिस थाने में भी शिकायत दर्ज कर सकते है ।
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बता दे की जीरो एफआईआर में किसी भी तरह की सिमा नहीं होती हैं और किसी भी तरह का क्राइम कहा हुआ हैं पुलिस वालो को इससे कोई लेना देना नहीं होता हैं उन्हें बस रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ेगी ।बता दे कि इसमें सबसे पहले आपकी रिपोर्ट दर्ज की जाएगी. जिसके बाद इस रिपोर्ट को ज्यूरिडिक्शन वाले पुलिस स्टेशन में फॉरवर्ड कर दिया जाता है ।
बता दे की ये सुविधा हर किसी के लिए लागू हैं और इसे लागू करने का सबसे बड़ा मकसद ही ये हैं की ज्यूरिडिक्शन के कारण किसी भी व्यक्ति न्याय मिलने में बिलकुल भी समय नहीं लगना चाइये और ऐसे में जल्द से जल्द आपकी शिकायत पुलिस तक पहुँच जाए ।
इसके मतलब ये हैं की हर इंसान को फिर चाहे वो छोटा हो या बड़ा उसे न्याय मिलेगा ।आप की जानकारी के लिए बता दे की जीरो एफआईआर का कंटेंट दिसंबर 2012 में निर्भया केस के बाद से शुरू किया गया था ।जैसे के आप सभी को मालूम हैं की निर्भया केस के बाद देशभर कितना प्रोटेस्ट हुआ था अपरधियों को सजा दिलाने के लिए सिटिज़न्स सड़को पर उतर गए थे ।जिसके बाद जस्टिस वर्मा कमेटी रिपोर्ट की रिकमंडेशन के आधार पर ही एक्ट में नए प्रोविजन जोड़े गए। यानि 2012 में निर्भया केस के बाद न्यू क्रिमिनल लॉ 2013 में आये ।
हम ये उम्मीद करते हैं की इस जानकारी को पड़ने के बाद ऊपर वाला न करे की आप के साथ कुछ गलत हो ,लेकिन कुछ हो भी जाए तो आप इस तरिके से आप आसानी से पुलिस वालो से न्याय मांग सकते है